कविता :मेरे राम मुझे तुम वर लो ना !
सीता को जैसे वरा राम ने
मेरे राम मुझे तुम वर लो ना !
लगा सिंदूर नाम का अपने
खुशियों से दामन भर दो ना !!
बनना न चाहूं मैं तेरी राधा
चाहे प्रेमी कृष्ण सखा होवे !
रह लूँगी संग तेरे कुटिया में
पर संग तेरा नाम जुड़ा होवे !!
बनना न चाहूं धरती-अम्बर
रहें साथ, कभी न मिल पाएँ !
जन्म जन्मांतर के साथी हैं
पर सीमाओं से न हिल पाएँ !!
बैठ डोली आऊं तेरे अँगना
मेरे राम मुझे तुम वर लो ना !
लगा सिंदूर नाम का अपने
खुशियों से दामन भर दो ना !!
अंजु गुप्ता
वाह क्या बात है
thanks a lot for appreciating my poem