कविता : होश जब आया…
होश जब आया तो …
तुम दूर जा चुके थे
अपनी ज़िंदगी से
हमको भूला चुके थे
अहसास इस दूरी का…
हम सह न पा रहे थे
आँखों से झरते आँसू
हाले-दिल बता रहे थे !!
होंठों पे इक हंसी थी..
आँखों में सूनापन था
तुझे खोने के एहसास से
इस दिल में रीतापन था !!
न था सोच में भी सोचा…
जिंदगी में ये पल आयेगा
आँधियों के बवंडर से
सपनों का महल डगमगायेगा !!
एे काश ! ज़िंदगी में…
तुम लौट कर आ जाऔ
ग़मगीन ज़िंदगी को
गुलज़ार तुम कर जाऔ !!
अंजु गुप्ता