सिर्फ एक धड़कन
कोई नहीं है इस दुनियाँ में
सिर्फ अकेलेपन के
चूर हो गए वो सपने मेरे
बुने जो जीवनभर के
न जाने क्या है जीवन में
गुजर रहा डर डर के
पीड़ा ही मिलती है हरदम
जख्म हो गए दिल पे
कभी कभी रोता है ये मन
इस हिय की तड़पन पे
नहीं बचा है कुछ काया में
सिर्फ एक धड़कन के
– रमाकान्त पटेल