मंहगाई तो टीस है
मंहगाई तो टीस है ,नही इसका उपचार
बढ़ा के कीमत ये कहें,हम नही जिम्मेदार
हरदिन ड़रे वो भूख से,चिन्ता बढ़ी दिन रात
कैसे बढ़िया खाओगे,नही पास रोजगार
पकेगा क्या कुछ भी नही,खत्म है सब्जी भात
चूल्हा तो खामोश है ,जला ना उसके द्वार
आँख मूँदते दिखते है,करते नही छिड़काव
आग लगा दी और कहा,होगा और विस्तार
हवा साथ ना दे जब भी, उलट हो जाये आग
आग लगाने वालो का,जलेगा खुद का द्वार
देख आग में घर अपना,कहें वो करो बचाव
अरे जला है घर मेरा, ड़ाल पानी की धार
— शालिनी शर्मा
हार्दिक आभार आद सादर नमन