कविता

तलवार लिखूँगा

बहुत हुआ श्रंगार आज तलवार लिखूँगा
खन खन करते तेगों की आवाज़ लिखूँगा
बहुत हुआ लैला-मज़नू को पढ़ते पढ़ते
आज भरी महफ़िल में वीरों का इतिहास पढ़ूँगा
आज निडर चमचमाती तलवारों का प्रकाश लिखूँगा
कृषकों के खेतों में देशी हल की
आवाज सुनूँगा
बहुत लिखा इश्क,मोहब्बत पर डरते डरते
आज नज़र से नज़र मिलाकरके
वीरों से इश्क करूँगा
— शिवम अन्तापुरिया

शिवम अन्तापुरिया

पूरा नाम शिवम अन्तापुरिया राम प्रसाद सिंह "आशा" उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात के अन्तापुर में 07/07/1998 को जन्म हुआ एक काव्य संग्रह प्रकाशित "राहों हवाओं में मन" दूसरी किताब पर लेखन शुरू दुनियां के सबसे बड़े काव्य संग्रह "बज़्म ए हिन्द" में प्रकाशित मेरी रचना "समस्याओं ने घेरा" राष्ट्र गौरव सम्मान नई कलम सम्मान कवि सम्मेलनों में सम्मानित अमेरिका, कनाडा सहित देश के दैनिक जागरण,अमर उजाला से लेकर देश छोटे बड़े लगभग (रोज 4-5) प्रदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं रचनाएं "शिक्षा के शुरूआत से ही लेखन की ओर दिल झुकता गया" "सस्ती होती शोहरते गर इस जमाने में लोग लिए फ़िरते शोहरते हर घराने में" तेरे कदमों के आने के मेरे कदमों के जाने के बनें हैं पग जमीं पर जो निशां हैं वो मिटाने के....