2019@मस्तीनामा
ग्रीष्मावकाश का अंत आ गया है। वैसे +2 स्तर के प्राचार्य और हितबद्ध कर्मी ग्यारहवीं के नामांकन में संलग्न रहे! गर्मी की भरी जवानी में कुछेक कमरे के विद्यालय में मानव संसाधन का पावर हाउस से बिजली नहीं, अपितु घाम-पसीना और पदगैसों के गुब्बार निकलेंगे, शिक्षालय गर्मी की इस भरी जवानी में दुर्गन्धयुक्त अगरबत्ती से भकभकायेगी।
इधर बच्चों के गार्जियन कहेंगे, आ गए मस्टरवा, मास्टरनी…. मुफत के खाने और मौज़ करने! जबकि बिहार सरकार नियोजितवा को आजतक किसी भी माह के 1 या 5 तारीख को वेतन नहीं प्रदान कर सका है । गार्जियन दौड़ेंगे, उनके बच्चे के खाते में रुपये नहीं चढ़े!
बच्चे देखते हैं कि उनके गुरु और गुरुमाताएँ प्रेम-पींगे लड़ाने में हैं व्यस्त! जिस मास्टरनी के हस्बैंड (हँसने में प्रतिबंध) अगर मस्टरवा नहीं है, तो पत्नी पर शक ही शक! इस पति का कितने मजे से ग्रीष्मावकाश में मस्ती कट रहा था । इधर ही दार्जिलिंग घूम आए हैं ! अब सब मज़े होने जा रहे हैं, बेमज़े !