लेखसंस्मरण

अधिवक्ता और प्रवक्ता ‘प्रद्युम्न’ के साथ

श्री प्रद्युम्न ओझा सर पेशे से अधिवक्ता हैं, किन्तु उनसे मेरा आकर्षण उनमें निहित जानकारी और विचार-बिंबता को लेकर है । मैंने इस शख़्सियत को सुना है, आकाशवाणी से और कई मंचीय वाणी से भी । अधिवक्ता के ‘अधिभार’ से बचते हुए तथा किसी पसंद व नापसंदगी को विराम देते हुए सिर्फ एक ही बात कहूँगा, वे कुशल वक्ता हैं और ऐतिहासिक बिम्बों को कथ्यों से आरूढ़ कर व उसे दाँतों तले चबाकर उनसे ‘तथ्य’ निकालने में प्रतिभासम्पन्न हैं । कहना ही होगा, जहाँ हैं, ‘ब्रेनड्रेन’ के शिकार हैं।

आइये, पढ़ते हैं राष्ट्रध्वज, कांग्रेस ध्वज और RSS ध्वज के प्रसंगश: श्री प्रद्युम्न सर के हस्तक्षेप— “…. जिस ध्वज और रंग की बात आप कर रहे हैं, वे मात्र प्रतीक है । राष्ट्रवाद एक अमूर्त भावना है, जो हमारे आचरणों में दिखाई देती है । भगवा ध्वज भारत की प्राचीनता का प्रतीक है, जबकि तिरंगा एक राजनीतिक दल का प्रतीक चिह्न था, जिसमें से चरखा निकालकर चक्र डाल कर देश का झंडा बना दिया गया। यहां देश और राष्ट्र के अंतर को समझना भी अपेक्षित है । यह लंबा विषय है । संक्षेप में, एक निश्चित भॊगोलिक सीमा के अंतर्गत का भूभाग देश के नाम से जाना जाता है, पर एक राष्ट्र मात्र इतना ही नहीं है ।

  • निश्चित सीमा में स्थित सभी संघ संसाधनों, नागरिकों, नदियों, पहाड़ों इत्यादि के प्रति गंभीर भावनात्मक भावों से जुड़े हैं । इनके सम्मान, समृद्धि और रक्षा के लिए जो सजग तथा प्रयत्नशील है, वही राष्ट्रवादी है । संघ ने जब अपने प्रतीक चिह्न इस ध्वज को अपनाया (1925 में), तब तिरंगा राजनीतिक दल कांग्रेस का प्रतीक चिह्न था। स्वाभाविक है,उसे अपनाया नहीं जा सकता था।

आजादी के बाद तिरंगे को संघ सहित पूरे देश ने स्वीकारा। इस स्वीकार या सम्मान का यह बिल्कुल अर्थ नहीं कि कोई संगठन अपने प्रतीक का अपमान करे। संघ के मंच पर गये सभी ने, यथा:- नेहरू, गांधी, इंदिरा…सबों ने संघ ध्वज को सराहा,लेकिन राजनीति की अपनी भाषा होती है, उसकी विवशता होती है । भावनात्मक भावों को राजनीतिक नारे तृप्त नहीं कर सकते और राजनीति भावों को संजीवनी नहीं दे सकती ! सरकारवादी और राष्ट्रवादी में फर्क भी है, उनके संबंधों की चर्चा दूसरे पोस्ट में……”

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.