शुभ हो नूतन वर्ष
नया साल लो आ रहा, लेकर सुख दुख गीत,
दूजों का दुख बाँट के ,दो उनको सुख मीत।
कुछ को लगता है भला ,कुछ को देता पीर ,
होती है नव साल की, अलग अलग तासीर।
नए साल ने खोल दी ,खुशियों की दूकान ,
जिसको जितना चाहिए ,ले जाओ श्रीमान।
सबको सुख सुविधा मिले ,सबका हो उत्कर्ष ,
खुशियों की कलियाँ खिलें ,शुभ हो नूतन वर्ष।
ये गुलाब की पंखुड़ी ,करती है मनुहार ,
नए साल जी दीजिये ,सबको ख़ुशी बहार ।
नवल वर्ष अब आ गया ,लेकर ख़ुशी बहार ,
आओ सब स्वागत करें, उसका बारम्बार।
नए साल में आपको,खुशियां मिले अपार,
खिलते हुए गुलाब से,जीवन हो गुलजार।
–महेंद्र कुमार वर्मा