कविता

हर कोई लपेटे में आता

काश ऐसी कोई मशीन आ जाती
दिल में छुपी बात जो पढ़ पाती
फिर तो कोई नहीं बच पाता
हर कोई लपेटे में आ जाता
कितने गुनाह किये किसी ने
कितने किसी ने झूठ बोले
किस किस के घर में आग लगाई
भेद यह सारे एक मिनट में खोले
नेताओं की तो नाक ही कट जाती
उनके दिल की बात जो मशीन पकड़ पाती
झुठ बोलने में मिल जाता गोल्ड मैडल
कितना माल कमाया यह भी झट बतलाती
जनता से वोट मांगते किये थे जो वायदे
उन सबका भी भेद खुल जाता
कितना माल कहाँ से आएगा
यह सच्च सबके सामने आ जाता
आदमी मशीन के सामने आने से घबराता
किस किस से चक्कर है यह सब सामने आता
बीबी बेलन से करती धुनाई
घर में महाभारत शुरू हो जाता
महिलाओं की जब आती
मशीन के सामने आने की बारी
न न कहती रहती पर
उम्र न छुपा पाती बेचारी
पड़ोसन के साथ सासु मां की
करती है कितनी बुराई
मशीन दिल के यह राज खोल देती
हो जाती फिर सास बहू की लड़ाई
झूठी कसमें जो खाते हैं
उनका सच्च सामने आ जाता
सच्च सामने देख कर
वो बहुत पछताता
आशिक इश्क में डूबा हुआ
मशीन के सामने जब आता
दिल में उसके प्यार ही प्यार है भरा
यह किसी से छुपा नहीं पाता
काश ऐसी कोई मशीन आ जाती
दिल में छुपी बात जो पढ़ पाती
फिर तो कोई नहीं बच पाता
हर कोई लपेटे में आ जाता
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र