सामाजिक

मिसेज श्रीलंका ब्यूटी कॉन्टेस्ट – विजेता को ताज पहनाने के बाद उतार दिया – मंच पर संग्राम छिड़ा

वैश्विक स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर करीब-करीब हर देश में अनेक प्रतियोगिताएं होती है, जो कि अलग-अलग क्षेत्र में जैसे खेलकूद, सांस्कृतिक, शैक्षणिक बुद्धिमता, सामान्य ज्ञान, मिस वर्ल्ड, मिसेज वर्ड, मिस कंट्री, मिसेज कंट्री, सहित अनेक प्रतियोगिताएं होती है और वर्तमान डिजिटलाइजेशन व तकनीकी युग में तो फॉर्म भरने से लेकर हर प्रक्रिया करीब करीब ऑनलाइन ही होती है जिससे कि उन प्रतियोगिताओं में पारदर्शिता की संभावना भी अधिक होती है। सब कुछ कंप्यूटर के आधार पर प्रक्रिया होती है। मानवीय कार्य प्रतियोगिता शुरू होने के बाद शुरू होता है जैसे कार्यक्रम संबंधी व्यवस्था, जजों की पैनल, रेफरी ,कोच, इत्यादि इसके अनेक तरीके होते हैं जिसके आधार पर अंतिम  विजेता का नाम तय किया जाता है। विशेष बात यह है कि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को इस तरह से सेट किया जाता है कि बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओ में योग्यता व अन्य प्रोसेस कंप्यूटर में सेट रहते हैं। अगर भाग लेने वाले उम्मीदवारों में वह योग्यता या क्षमता नहीं होने पर कंप्यूटर फार्म ही एक्सेप्ट नहीं करता और रिजेक्ट कर देता है।इस तरह की प्रणाली आज के युग में आम बात है। हालांकि उसके बाद मैन्युअल प्रक्रिया में उन योग्यताओं या मानदंडों की जांच भी आवश्यक की जानी चाहिए ताकि अंतिम समय में कोई दखलंदाजी या समस्या निर्माण ना हो जाए उसके लिए किसी भी प्रतियोगिता में आयोजकों को प्रतिभागी की योग्यता के मानदंडों को सख़्ती व बारीकी से जांच पड़ताल करके ही चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए। यदि मानदंडों में कुछ कमी है तो प्राथमिक स्तर पर ही संबंधित प्रतिभागी को सूचित कर उचित कदम उठाना चाहिए जिससे प्रक्रिया के आगे बढ़ने पर कोई समस्या उत्पन्न ना हो और आयोजकों सहित किसी की भी प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न ना हो और प्रतियोगिता को शुरूसे अंतिम स्तर तक सफलता से उसके अंजाम तक पहुंचाया जा सके इसके लिए सबसे पहले तो कुशल तथा योग्य प्रशासक की नियुक्ति करना अनिवार्य हो जाता है, अन्यथा थोड़ी सी भी कमी अंतिम स्तर की प्रक्रियामें बहुत भारी पड़ सकती है जिसके परिणाम राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतने पड़ते हैं।…
अभी हालही में इसका ताजा उदाहरण हमने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देशी विदेशी अनेक चैनलों पर देखे कि किस तरह श्रीलंका की मिसेज श्रीलंका ब्यूटी कॉन्टेस्ट में सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण कर मिसेज श्रीलंका कांटेस्ट की विजेता पुष्पिका डी सिल्वा  को प्रतियोगिता की विजेता घोषित कर उसके सिर पर ताज पहना दिया गया और फिर कुछ ही पलों में स्टेज पर मौजूद मिसेज वर्ल्ड कैरोलिन जूरी ने उसके सिर से फिर ताज उतार दिया और कहा कि नियमों का के मुताबिक पुष्पिका डी सिल्वा को ताज नहीं मिल सकता क्योंकि वह तलाकशुदा है और नियमों के अनुसार तलाकशुदा प्रतिभागी नहीं बन सकती। महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलंबो में ही हो रहे इस कार्यक्रम का राष्ट्रीय टीवी चैनल पर सीधा प्रसारण किया जा रहा था और यह पूरा वाकया सीधे प्रसारण के समय ही हुआ। यह बात हमारे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनलों ने भी बताई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार मामला कुछ यूं था कि, श्रीलंका में आयोजकों ने मिसेज श्रीलंका ब्यूटी कांटेस्ट का आयोजन किया था और अनेक शर्तों में से एक शर्त यह भी थी कि प्रतिभाग लेने वाली महिला को विवाहित होना और तलाकशुदा नहीं होना अनिवार्य है। सभी प्रतिभागियों द्वारा अनेक प्रक्रियाओं में होते हुए अंतिम प्रक्रिया में पुष्पिका डी सिलवा ब्यूटी कॉन्टेस्ट की विजेता रही।और उसे मिसेज श्रीलंका का ताज पहना दिया गया, परंतु कुछ ही क्षणों में मंच पर उपस्थित पूर्व मिसेज वर्ल्ड ने उसका ताज उतार दिया कि वह तलाकशुदा महिला है और नियमों का उल्लंघन किया है।
फिर बाद में कार्यक्रम के आयोजकों ने इस बात की पुष्टि की कि मिसेज डी सिल्वा तलाकशुदा नहीं है। और आयोजकों ने श्रीमती पुष्पिका डी सिल्वा से माफ़ी  मांगते हुए उसका ताज उसे वापिस कर दिया गया। यह पूरा वाकया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक चैनल पर मैंने खुद ने भी बुधवार दिनांक 7 अप्रैल 2021 को देखा जो काफी दुखद माहौल और मिसेज पुष्पिका डी सिल्वा की बहुत मानहानि महसूस हुई। हालांकि अस्पष्ट जानकारों के अनुसार पुष्पिका डी सिल्वा ने अपनी मानहानि के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर अपना पक्ष रखने का निर्णय लिया है हालांकि वह 2011 में भी मिसेज श्रीलंका का खिताब जीत चुकी है। ऐसा ऐसी जानकारी मीडिया में दी गई। अतः भारत सहित वैश्विक रूप से सभी प्रतियोगिताओं के आयोजकों को चाहिए कि किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता को रणनीतिक व्यवस्था तथा प्रक्रिया बद्ध, चरणबद्ध, तरीके से पूरी जांच और सावधानी के साथ प्रतिभागियों को समानता से चयनकर विजेताओं की घोषणा करनी चाहिए। हालांकि मेरी जानकारी के अनुसार भारत में किसी भी प्रतियोगिता में इस प्रकार की कोई घटना नहीं हुई है जो कि तारीफ़ के काबिल है और यही परम्परा, विश्वास बना रहेगा ऐसा विश्वास है।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया