सकारात्मक भावना
”सकारात्मक भावना अपनाइए, खुश रखिए, खुश रहिए.” यह है खुशहाल जीवन का मूलमंत्र.
हर दिन विशेष की तरह ”सकारात्मकता दिवस” भी मनाया जाता है. किसी भी दिन विशेष की तरह ”सकारात्मकता दिवस” भी सकारात्मकता को पुनः स्मरण कराने और और जीवन को सकारात्मक बनाए रखने के लिए मनाया जाता है. वैसे तो ”सकारात्मकता दिवस” 13 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन हर दिन ”सकारात्मकता दिवस” होता है और हमें इसी मंत्र का अनुसरण करना चाहिए.
सकारात्मकता किसे कहते हैं?
सकारात्मकता का अर्थ यह नहीं है, जो हो रहा होने दो या भाग्य में जो होगा, वही मिलेगा! अन्याय होता देखकर विरोध करना आवश्यक है, गतिरोध नहीं. उसी तरह अपनी उन्नति के लिए कर्म करो, बार-बार करते रहो, लेकिन अप्रिय फल को मन से मत लगाओ.
धूप है, बरसात है, और हाथ में छाता नहीं,
दिल मेरा इस हाल में भी अब तो घबराता नहीं,
मुश्किलें जिसमें न हों वो जिंदगी क्या जिंदगी,
राह हो आसां तो चलने का मज़ा आता नहीं.
सकारात्मकता का अर्थ है कि व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखता है. चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, अगर सोच सकारात्मक हो तो हमें यह विश्वास होता है कि हम इस परिस्थितियों से पार लग जाएंगे. अगर व्यक्ति की सोच सकारात्मक हो तो वह नकारात्मक परिस्थितियों को भी अपनी बुद्धि और अपनी सकारात्मक सोच से बदलने की कोशिश करेगा.
”हार तो एक अनुभव है
यह बताने के लिए कि कैसे जीता जाए.”
जो लोग सकारात्मक सोच रखते हैं वह कभी तनावपूर्ण नहीं होते हैं और कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते. सकारात्मक विचार हमें हौसला और जिंदगी में आगे बढ़ने की शक्ति देता है, जिससे हम जिंदगी में किसी भी परिस्थिति का सामना कर लेते हैं. सकारात्मक सोच रखें, तनाव-मुक्त रहें. तंज़ न करें, इससे अपना मन भी पीड़ित हो जाता है-
वर्तमान में सही राह पर, अपने रथ को मोड़ो,
तंज़ करना छोड़ो, ठोस काम से नाता जोड़ो.
सकारात्मक कैसे रहें?
”भूत काल सपना है,
भविष्य काल कल्पना है,
वर्तमान काल अपना है.”
इसलिए वर्तमान के हर पल का आनंद लीजिए.
सकारात्मक भावनाएं रखिए और देश-समाज के हित के काम कीजिए. हिंदी भाषा का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार कीजिए. ऐसा करने से हिंदी भाषा का विकास तो होगा ही, हमारे मन को भी हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति होगी. इसके लिए अपने आसपास के बच्चों-लोगों-घरेलू सहायकों को हिंदी पढ़ना-लिखना सिखाया जा सकता है. आजकल इंटरनेट का जमाना है, इंटरनेट से ऑनलाइन भी यह शुभ कार्य सम्पन्न किया जा सकता है.
“जिनको अवसर मिला नहीं है,आओ उन्हें पढ़ाएं।
पढ़े-लिखे तो बढ़ जाएंगे,आओ उन्हें बढ़ाएं॥
साक्षरता महका सकती जीवन, साक्षरता है सबकी आस।
हम सब मिलकर महकाएंगे, साक्षरता-मधुमास॥”
हमारे देश में जनसंख्या समस्या विस्फोटक स्थिति में है. जनसंख्या शिक्षा देकर खुश होने और रहने देने में सहायक हो सकती है-
”भारत में जनसंख्या विस्फोट हो रहा है,
हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं
जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है
समस्याएं जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी हैं
आये दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम ने जीना हराम कर दिया है
वाहन रेंगने की स्थिति में पहुँच गए हैं
लोगों को पैदल चलना अधिक मुनासिब लग रहा है
यह हाल रहा तो हम आत्मनिर्भरता का सपना ही देखते रह जाएंगे
चारों तरफ मुंडियां-ही-मुंडियां दिखाई पड़ेंगी
बताओ तो सही हम कहां और कैसे रह पाएंगे?”
सकारात्मकता का वर्धन करने वाला साहित्य लिखा जा सकता है और पढ़ा-पढ़ाया जा सकता है.
अच्छा संगीत सुनना सकारात्मकता को बढ़ाता है. आजकल तो संगीत से बड़ी-बड़ी बीमारियां भी ठीक की जा रही हैं. मनभावन-अच्छा संगीत तनाव-मुक्त रहने में सहायक होता है.
“संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊंचाइयों तक पहुंची है,
वह है एक स्नेहभरे दिल की धड़कन।”
हंसी को अपनी सहचरी बना लीजिए, मुस्कुराहट को अधरों पर सजाए रखिए, नाचिए-गाइए-खुशियां मनाइए, सकारात्मकता आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगी.
अपना ध्यान रखें, अपने परिवारवालों का और मित्रों-नाते-रिश्तेदारों का ध्यान रखें, सबके साथ सदाचार का व्यवहार करें, सकारात्मकता आपके कदम चूमेगी.
‘शब्द’ का भी अपना एक ‘स्वाद’ है, बोलने से पहले स्वयं ‘चख’ लीजिये, अगर खुद को ‘अच्छा’ नहीं लगे तो, दूसरों को मत परोसिये?
मैं और मेरा के स्थान पर हम और हमारा का प्रयोग करें, यह अपने नजरिए को सकारात्मक रूप से विस्तारित करता है. जीवन को सकारात्मक बनाने का मूलमंत्र है-
”ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥”
जितना हो सके दिल खोलकर अच्छे काम की प्रशंसा करें. बधाई देने में कृपणता न करें. अच्छे काम की प्रशंसा करने में अनुदार न बनने से मन में सकारात्मकता तो आएगी ही, अच्छाई हमारे मन में बस जाएगी. सकारात्मकता के साक्षात दर्शन होंगे. सकारात्मकता के कुछ स्मरणीय व अनुकरणीय सूत्र-
ईश्वर… दे कर भी आजमाता है और…ले कर भी.
जिंदगी जब मायूस होती है तभी महसूस होती है.
कोई भी क्रोधित हो सकता है यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना, सभी के बस की बात नहीं है और यह आसान नहीं है.
मनुष्य के सभी कार्य इन 7 कारणों से प्रेरित होते है जो क्रमशः मौका, स्वभाव, मजबूरी या आवश्यकता, आदत, वजह, जुनून तथा प्रबल इच्छा.
खुश रहें, समझदारी का यह एक तरीका है.
कुछ पाकर तो हर कोई मुस्कुराता है, जिन्दगी शायद उनकी ही होती है, जो बहुत कुछ खोकर भी, मुस्कुराना जानता है.
स्वयं के जीवन में अगर हम दूसरों की सफलता को स्वीकार नहीं करते, तो वह ईर्ष्या बन जाती है और अगर स्वीकार कर लें, तो वह प्रेरणा बन जाती है.
ऊंचा उठने के लिए पंखों की जरूरत केवल पक्षियों को होती है,
मनुष्य तो जितना झुकता है, उतना ही ऊपर उठता है.
आज बस इतना ही. सकारात्मकता के बारे में कहने को बातें बहुत हैं, शेष आपके-हमारे द्वारा कामेंट्स में.