एहसास
इजाज़त दे दो अब तो एक एहसास की
जो तुम्हें बड़ी मुद्दतों से पाया है
अफसानों में हम छाये हैं
जज्बातों के
जहन में जो तू छाया है
न जाने किस काफिले से चुना है खुदा ने तुझे
जो गुजरता है बेगाने गलियारों से
मगर पता लग जाता है मुझे
ख्वाबों के मंजर में
तू दिलचस्प बात
और बेहतरीन नगमें सुनाता है
मेरी तो रूह भी रजामंद है
तेरा होने में
तू ही तो वो खुबसुरत एहसास जगाता है