लाडली बेटियां!
लाडली बेटियां!
सौभाग्य लेकर आती हैं बेटियां,
सपने सजाती आती हैं बेटियां,
रुमझुम, छमछम पायल की,
मधुरिम आह्लाद लाती हैं बेटियां।।
जीवन की ये फुलवारियां,
घर-आंगन में डोलती कलियाँ,
मीठी मीठी सुरमई साज-सी,
चहकती, गुनगुनाती चिड़ियां।।
थिरकती सुंदर मनमयूरी-सी,
सुरभित अलमस्त पवन-सी,
दिल का साज श्रृंगार सुहाना,
सुहासी, गुलजार गुलशन-सी।।
रौनक, बहार जीवन-बाग की,
प्रेमरंग रसधार बूंदे बारिश की,
मधुरिम आनंद, सुकून सौगात,
उजास, उल्लास, उमंग जीवन की।।
चंचल जी, बहुत खूब! “रुमझुम, छमछम पायल की,
मधुरिम आह्लाद लाती हैं बेटियां।।” इतनी सुंदर कविता के लिए बधाई.
आदरणीय लीला दीदी, सादर प्रणाम।
बेटियां हमारे दिल के आसपास होती हैं, लहलहाती बालियों-सी, मंदिर की मधुर घंटियों-सी।
आपका प्रोत्साहन पाकर मनमयूर हर्षित हो रहा हैं।
बहुत बहुत धन्यवाद। सादर