मुक्तक/दोहा

हमने भी सीखा- 17

मुक्तक

जन्मदिवस की अनुपम बेला
लाई खुशियों का आगार
देखे जो सपन सलोने प्यारे
दुआ हमारी हों साकार

खुश रहिए, उन्नति करते रहिए
खुशियां बांटिए, खुशियों के भंडार भरते रहिए

प्रेम खुद से खुद की पहचान है
खुशनुमा उजाले की शान है
आनंद के अंकुर प्रस्फुटित होंगे
प्रेम ही मन की मधुरिम तान है

खुद को खुद का हमसफर बना लो,
अपनी जीवन-यात्रा को सुखद बना लो

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244