स्वास्थ्य

सुरक्षित गर्भ और प्रसव हर महिला का अधिकार!

1976 में जब मैं एमबीबीएस के फाइनल ईयर में पड़ रहा था तो एक रोज़ मेरी प्रसूति कक्ष में ड्यूटी लगी हुई थी। प्रसूति विभाग में उस दिन ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सब महिलाये आज ही प्रसूति कराने आई हुई हो। उनमे बहुत सी महिलाओं ने समय पर स्वस्थ बच्चो को जन्म दिया तो कुछ महिलाओं की स्तिथि गंभीर थी जिसके कारण कुछ माँ के औसत से कम वजन वाले बच्चो को जन्म दिया तो कुछ में ऐसी जटिलता आई की उनका ऑपरेशन करना पड़ा।

उनमे से एक गांव की लगभग 15 से 16 वर्ष की युवती थी। गांव में तीन दिन तक वह प्रसव पीड़ा से पीड़ित थी। गॉव में एक दाई ने पूरी कोशिश की पर जब बच्चा तो पैदा न हुआ तो उस युवती को हमारे मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल में उसके माता पिता जिस वक़्त लाए तो उस युवती की तबियत बहुत ही बिगड़ी हुई थी। उस युवती में खून की बहुत कमी थी और गर्भ के बच्चे के दिल की धड़कन जो औसतन 120 और 160 के बीच होती है बहुत धीमी चल रही थी, यही 60 से 70 के बीच। उस युवती को खून चढ़ाया गया, हर संभव कोशिश की गई पर न उस युवती को और न ही उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाया जा सका।

उस युवती की तरह उन दिनों कितनी ही ऐसी युवतियां और महिलाऐं गरीबी, अशिक्षा, छोटी उम्र में शादी, दाई से प्रसव के समय मिसहैंडलिंग और असुरक्षित माहौल में प्रसव की कोशिश, खून की कमी, गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन न बढ़ना, जटिल गर्भावस्था और बार बार माँ बनने के प्रयास में और बार बार गर्भपात होने से मातृत्व सुख से वंचित हो जाती या खुद भी असमय मर जाती।

एक औरत ही उस पीड़ा को जान सकती है जब उसकी कोख सूनी रह जाती है। हर स्त्री का सपना होता है माँ बनना। प्रेगनेंसी के 9 महीने में वह अपने गर्भ में पल रहे अपने अंश के दिल की धड़कन को महसूस करती है और जब वो उसके अंगो की हलचल महसूस करती है तो वह गदगद हो कर अपने आप में मुस्कराने लगती है। इसके पश्चात जब वो अपने शिशु को जन्म देती है तो उसके रोने के आवाज़ सुनकर वह प्रसव पीड़ा के दर्द को भूल जाती है और उसके ख़ुशी की कोई सीमा नहीं होती।

हर गर्भवती महिला को सुरक्षित मातृत्व सुख का अधिकार है। सुरक्षित गर्भ से प्रसव तक और नवजात बच्चे के 40 दिन बाद के समय को मातृत्व के लिए अहम माने गए है। जिस समय महिला को ज्ञात होता है की वह गर्भवती है, उसी वक़्त उसको विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गर्भ के दौरान आहार, टेटनस के दो टीके और वजन का ख़ास ध्यान रखना जरूरी है। वही कम से कम तीन महीने में एक बार उसकी जांच किसी मान्यता प्राप्त दाई, नर्स या डॉक्टर से होनी चाहिए जो उसका ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, वजन और खून में हीमोग्लोबिन की जांच करे और उसे सुरक्षित प्रसव के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करे ।

प्रसव के समय प्रसव साफ़ वातावरण और कीटाणुरहित उपकरणो से करना चाहिए, इसीलिए भारत सरकार हॉस्पिटल में प्रसव को बढ़ावा दे रही है। फिर भी बहुत सी महिलाएं, विशेषकर गांव की, अपना प्रसव किसी दाई से करवाती है और जब कोई जटिलता दिखती है तब तक चिकित्सक सहायता के लिए देर हो जाती है । कई बार प्रसव के दौरान कोई जटिलता आ जाती है जिससे आपरेशन द्वारा बच्चे को माँ के गर्भ से निकला जाता है, फिर भी उसे बचाया नहीं जा सकता।

पिछले कुछ वर्षों से माँ और बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल के लिए भारत सरकार ने अनेक प्रयास किये है जिनमे हर परिवार से कुछ ही दूर पर स्वस्थ सुविद्याएँ उपलबध हो। शहरों से लेकर गॉव तक हर हॉस्पिटल और सेहत केंद्र में प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स या दाई से प्रसव, गर्भावस्था में गर्भवती महिला की जांच और देखभाल और नवजात शिशु की देखभाल को यकीनी बनाई गई है। इन प्रयासों से भारत का मातृ मृत्यु अनुपात जो आज़ादी के समय अनुपात 2000/100,000 जीवित जन्म था, 2017-19 में सुधरकर 103 हो गया है तथा शिशु मौत दर जो 200 प्रति एक हज़ार बच्चो से ऊपर था , आज लगभग 27 है । यह दर और प्रयासों से कम लाई जा सकती है।

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रसव संबंधी जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 11 अप्रैल जो राष्ट्रपिता मोहन दास करम चंद गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती भी है को मनाया जाता है। इस अवसर पर हम सब मिल कर हर माँ को सुरक्षित गर्भ, प्रसव और मातृत्व सुख के प्रति जागरूक करे।

-डॉक्टर अश्विनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।

One thought on “सुरक्षित गर्भ और प्रसव हर महिला का अधिकार!

  • *चंचल जैन

    आदरणीय अश्विनी जी, सादर नमन। सही कहा आपने, हर गर्भवती महिला को सुरक्षित मातृत्व सुख का अधिकार है।
    तथ्यात्मक, जानकारी युक्त लेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
    राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की पहल सार्थक हो।
    जच्चा, बच्चा सुरक्षित रहे, यही मनोकामना। सादर

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