गीत/नवगीत

गुस्सा करना भूल गए

तुमने प्रिये! आघात किया जो, हँसना-हँसाना भूल गए।
विश्वास नहीं अब, खुद पर हमको, गुस्सा करना भूल गए।।

हमने सब कुछ सौंप दिया था।
बिना जाँच विश्वास किया था।
तुमरे जाल में फंसा था ऐसा,
धोखे को सच मान जिया था।

प्रेम वचन जो मधुर थे उस पल, आज वही हैं शूल भए।
विश्वास नहीं अब, खुद पर हमको, गुस्सा करना भूल गए।।

चोट भले ही कितनी गहरी।
जिंदगी नहीं है, फिर भी ठहरी।
जिजीविषा अब भी जीवित है,
सच है हमारा आज भी प्रहरी।

उत्साह, आक्रोश, क्रोध था पल पल, निराश आज हम कूल भए।
विश्वास नहीं अब, खुद पर हमको, गुस्सा करना भूल गए।।

केवल खुद को मुक्त चाहते।
तुमको भी नहीं रिक्त चाहते।
निज प्रेमी संग, खुशी रहो तुम,
हम तो बस एकांत चाहते।

पुष्प भी काँटे बन जाते हैं, काँटें भी हमको कूल भए।
विश्वास नहीं अब, खुद पर हमको, गुस्सा करना भूल गए।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)