काबिल न थे तुम
काबिल न थे मेरी मोहब्बत के , हमने काबिल तुम्हें बनाया।।
रुह से कोई तुम्हें ना चाहा , हमने तो तुम्हें रुह में बसाया।।
कद्र न कर पाए तुम पाक ए मोहब्बत की मेरी
लो आज जमाने कि तरह हमनें भी , तुम्हें ठुकराया।।
मिल ना पाएगा कोई हमसा चाहने वाला तुम्हें कभी
इन्हीं दर्द ए शब्दों संग आज मेरा दिल , भर आया।।
आज बहे हैं मेरी पाक ए मोहब्बत कि वेदना के आंसू
जा बे कदर आज तेरी कद्र मेरा दिल भी न कर पाया।।
सोचती थी वीणा के साज के झंकार होगे सिर्फ तुम
वीणा के तार तोड़ , उसे साज बिन तुमने रहना सिखाया।।
काबिल न थे मेरी मोहब्बत के हमने काबिल तुम्हें बनाया।।
रुह से कोई तुम्हें ना चाहा , हमने तो तुम्हें रुह में बसाया।।
— वीना आडवाणी तन्वी