गीतिका/ग़ज़ल

काबिल न थे तुम

काबिल न थे मेरी मोहब्बत के , हमने काबिल तुम्हें बनाया।।
रुह से कोई तुम्हें ना चाहा , हमने तो तुम्हें रुह में बसाया।।
कद्र न कर पाए तुम पाक ए मोहब्बत की मेरी
लो आज जमाने कि तरह हमनें भी , तुम्हें ठुकराया।।
मिल ना पाएगा कोई हमसा चाहने वाला तुम्हें कभी
 इन्हीं दर्द ए शब्दों संग आज मेरा दिल ,  भर आया।।
आज बहे हैं मेरी पाक ए मोहब्बत कि वेदना के आंसू
जा बे कदर आज तेरी कद्र मेरा दिल भी न कर पाया।।
सोचती थी वीणा के साज के झंकार होगे सिर्फ तुम
वीणा के तार तोड़ , उसे साज बिन तुमने रहना सिखाया।।
काबिल न थे मेरी मोहब्बत के हमने काबिल तुम्हें बनाया।।
रुह से कोई तुम्हें ना चाहा , हमने तो तुम्हें रुह में बसाया।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित