अहसासों से गुजरना कुछ नया तो नहीं
बात तो तब है जब औरों के अहसास को जी सको
दुखों से लड़ना कोई आसान तो नहीं
बात तो तब है जब दूसरों की पीड़ा समझ सको
दिखावा करना कोई आसान तो नहीं
समझदारी तब है जब स्वंय को सरल समझ सको
मुसीबत को सहन करना आसान तो नहीं
आसान तो तब है जब धैर्य धारण कर सको
उम्मीदों के चिराग कब देर तक जलते हैं
बात तो तब है जब अंधरों में भी जी सको
माना कि प्रेम सब कुछ नहीं आदमी के लिए
बात तो तब है जब प्रेम के बिना भी रह सको
आँसूओं को छिपाना आसान तो नहीं ऐ वर्षा
बात तो तब है जब हकीकत को स्वीकार कर सको
— वर्षा वार्ष्णेय