कविता

सूर घनाक्षरी

गुरू की महिमा जगी,
संत सभी हैं सुखाय,
मन व्याकुल यूँ रहे,
गुरु के शरणें जाय।

जीवन की है ये व्यथा,
गुरु कृपा मिल जाय,
ज्ञान का सागर मिला,
नैया ये पार हो जाय।

गुरु बिना ज्ञान नहीं,
इक राह मिल जाय,
सब ज्ञानी होवे यहाँ,
जीव सब तर जाय।

वेदों से है ज्ञान मिला,
अन्धकार मिट जाय,
गुरु से है राह मिली,
जीवन ये तर जाय।

— सन्तोषी किमोठी वशिष्ठ

सन्तोषी किमोठी वशिष्ठ

स्नातकोत्तर (हिन्दी)