मधुमती छंद “मधुवन महके”
मधुवन महके।
शुक पिक चहके।।
जन-मन सरसे।
मधु रस बरसे।।
ब्रज-रज उजली।
कलि कलि मचली।।
गलि गलि सुर है।
गिरधर उर है।।
नयन सजल हैं।
वयन विकल हैं।।
हृदय उमड़ता।
मति मँह जड़ता।।
अति अघकर मैं।
तव पग पर मैं।।
प्रभु पसरत हूँ।
‘नमन’ करत हूँ।
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मधुमती छंद विधान –
“ननग” गणन की।
मधुर ‘मधुमती’।।
“ननग” = (नगण नगण गुरु)
111 111 2 = 7 वर्ण का वर्णिक छंद। चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’