मधुमती छंद

कवितापद्य साहित्य

मधुमती छंद “मधुवन महके”

मधुवन महके। शुक पिक चहके।। जन-मन सरसे। मधु रस बरसे।। ब्रज-रज उजली। कलि कलि मचली।। गलि गलि सुर है। गिरधर

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