दिलरुबा…
ये कौन आ गई दिलरूबा महकी महकी ।
फिज़ा महकी महकी हवा महकी महकी ।।
वो आंखों में काजल वो बालो में गजरा,
हथेली पे उसके जो हिना महकी महकी ।
खुदा जाने किस किस की ये जान लेगी,
वो क़ातिल अदा वो कज़ा महकी महकी ।
लाज की हल्की लालिमा चेहरे पे छुपाए हुए,
पलके झुकी हुई नूर ए शमा महकी महकी ।
सवेरे सवेरे वो जो मेरे घर पर आ गई,
ऐ हसरत वो बाद-ए-सबा महकी महकी ।
ये कौन आ गई दिलरुबा महकी महकी ।
फिज़ा महकी महकी हवा महकी महकी ।।
— मनोज शाह ‘मानस’