दोहे
ठीक कहा सबने सदा,ये है बहुत खराब
जो तिहाड़ ले कर चली,वो है दुष्ट शराब
बरबादी की राह का, ये करती आगाज,
मन्त्री हो या सन्तरी,करती नही लिहाज
कर देती है खोखला,कुछ भी बचे न शेष
इस लायक छोड़े नही,दिखा सको जो फेस
महंगी ये पड़ती बहुत,रोक सके तो रोक
रहे कहीं का भी नही, जिसे लगा ये शौक
पहले ये आनन्द दे,फिर करती है नाश
कोई न बच पायेगा, घिरे जो बाहुपाश
— शालिनी शर्मा