मां की ममता
मां आज मदर्स डे है आपकी डायरी मेरे हाथ में है ।आप हमारे साथ नहीं हो बहुत याद आते हैं बीते दिन और आप, आज मैं भी मां हूँ पर शायद आप जैसी नहीं बन पाती ।सुबह की कड़कड़ाती ठंड में पता ना कितने बजे बिस्तर छोड़ देती थी । आज जैसी सुविधाएँ भी नहीं थी घर में पर मां के चेहरे पर कोई शिकन नहीं बस धुन थी बच्चों को पढ़ाना है और अच्छा भविष्य देना है।
मां की दी हुई शिक्षा आज समझ में आती है वह कहती थी जहां जाओ अपने व्यवहार से दूसरों को अपना बना लो । मां पापा के ना रहते हुये आपने बहुत कष्टों से उच्च शिक्षा हम बहनो को दिलवाई ।
आज मुझे बहुत बातें आपकी डायरी पढ़कर पता लगी है। वह डायरी हमेशा संभाल कर रखती थी आज पहली बार मुझे पता लगा की आपने शादी अपनी मर्जी से की थी दोनों ओर के परिवार में से कोई राजी नहीं था ।आपकी शिक्षा अधूरी रह गयी थी । पापा शुरू में आपका बहुत ख्याल रखते थे बाद में वह बदलते चले गये । दो साल में हम दोनों बहनों का जन्म हो गया । कुछ दिन बाद अपने परिवार के कहने से वह आपको छोड़कर चले गये । आपने मौन साध लिया और प्रण करा कि अपनी बेटियों को इस लायक बना दूगी कि वह किसी पर आश्रित ना रहें। आपने उस प्रण को पूरा किया मुझे प्रोफेसर और छोटी बहन को इंजीनियर बनाकर दिखा दिया की मां की ममता के आगे सब नत मस्तक हो जाते हैं।
— डा. मधु आंधीवाल