गीतिका/ग़ज़ल

कुछ तो कीजिए

कुछ नहीं से कुछ भला, कुछ तो कीजिए,
दोस्ती मत निभाओ, मगर दुश्मनी न कीजिए।
अपने और पराये में, कुछ तो अन्तर होता है,
अपना मत बनाओ, पर पराया न कीजिए।
सनातन में जन्म लिया, मानवता जीवन आधार,
शाकाहारी बनकर रहो, हिंसा न कीजिए।
मन्दिर को नमन, चर्च मस्जिद को सजदा,
मुर्दों पर चढ़ा कर प्रसाद, खाया न कीजिए।
न बन सके हिन्दू, न हिन्दुत्व का परचम उठाया,
धर्मनिरपेक्ष बन, सनातन पर आघात न कीजिए।
भू गगन वायु अग्नि नीर, प्रकृति के पाँच तत्व,
प्रकृति का संरक्षण करें, कुछ तो कीजिए।
— डॉ अनन्त कीर्तिवर्द्धन