कविता

आईना

खुद को खुद से आईना मिलवाता है
आईना सबकी सच्चाई बयां करता है
जैसे हमारे रंग रूप वैसे ही हमें दिखलाता है
सच का आईना भी दिखलाता है
विश्वास कभी न तोड़ो यही आईना बताता है
अपने अस्तित्व से पहचान करवाता है
हमारे गुण अवगुण से वो परिचित करवाता है
हमारा मन ही सच्चा आईना कहलाता है
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश