माँ
मेरी प्यारी – प्यारी माँ।
तुम पर मैं बलिहारी माँ।
तुमसे पाया है जीवन
झूम उठा भोला बचपन
सुख – सुमनों की क्यारी माँ।
धैर्य – शक्ति की हो प्रतिमा
स्नेहसिक्त गौरव – गरिमा
हृदय से हूँ आभारी माँ ।
पूर्ण करूँ सुंदर सपना
ध्येय पुनीत सदा अपना
आदर की अधिकारी माँ।
तुम अमृत हो, मैं जल कण
कौन चुका पाएगा ऋण
घरभर की उजियारी माँ।
मेरी प्यारी – प्यारी माँ।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र