गीतिका/ग़ज़ल

देश विभाजन त्रास. न भूलें। 

हम वैदिक इतिहास, न भूलें।
बने रहे क्यों दास, न भूलैं।
आर्यों ने विज्ञान क्षेत्र में
कितना किया विकास, न भूलें।
शांति – अहिंसा के कारण ही
मिले घोर संत्रास, न भूलें।
अपना क्षात्रधर्म क्यों त्यागा
होता है उपहास. न भूलें।
ढुलमुल नीति भीरुता होती
हमें मिला वनवास, न भूलें।
लड़े ‘प्रताप ‘क्रूर यवनों से
किए कठिन उपवास, न भूलें।
भारत माँ को किया विभाजित
गद्दारों का रास न भूलें।
शकुनि और जयचंदों ने ही
तोड़ा है विश्वास, न भूलें।
जिन्न अभी जिन्ना का जीवित
करता है अट्टहास. न भूलें
चौदह अगस्त था दिवस भयावह
देश विभाजन त्रास. न भूलें।
देश बनाना पुनः अखण्डित
करना सतत प्रयास, न भूलें।
करने हैं संघर्ष और भी
तिलक, पटेल. सुभाष, न भूलें।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र 

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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