लघुकथा – शक
लाश के पास खड़ी शिप्रा थर थर कांप रही थी तभी रवि ने घर के भीतर प्रवेश किया | शिप्रा रवि को देख जोर जोर से चिल्लाने लगी ” तुम खूनी हो | लेकिन जब कत्ल हुआ तब तो रवि अपने ऑफिस में था|
नीना की लाश देखकर रवि हकबक रह गया| थोड़ी देर पहले ही फोन पर बात हुई थी वह रवि के ऑफिस में सेक्रेटरी थी देखने में भी सुंदर थी| आज उसकी तबियत खराब थी जिसकी वजह से वो आज ऑफिस नहीं आयी| रवि की पत्नी रीमा रवि और नीना को शक की निगाहों से देखती थी.
रवि रीमा को कई बार समझा चुका था ” मेरा और नीना का कोई अफेयर नहीं है”लेकिन रीमा मानने को तैयार नहीं थी| शिप्रा उसकी तबियत का हाल पूछने उसके घर आई थी, जिस दिन उसकी मौत हुई|
अचानक नीना की मौत की खबर सुन रवि दौड़ा चला आया पुलिस खूनी की तलाश कर रही थी बहुत छानबीन करने के बाद पुलिस को शिप्रा का ब्रासलेट मिला जिसके आधार पर शिप्रा को गिरप्तार किया गया|
कहते है शक की कोई दवाई नहीं होती है जिसके कारण लोग अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते है.
— पूनम गुप्ता