“अवज्ञा” : महासंताप
“अवज्ञा” शब्द का है ज़ायका अपना,
“अवज्ञा” देश-परिवार के हित में : देशभक्ति
“अवज्ञा” देश-परिवार के अहित में : देशद्रोह
“अवज्ञा” के लिए मन में हो : पावन प्रेम-शक्ति.
“अवज्ञा” महात्मा गांधी ने की अंग्रेजों के विरुद्ध,
“अवज्ञा” वह थी आजादी के लिए एक युद्ध,
साथ दिया पूरे देश ने इस युद्ध में उनका,
“अवज्ञा” सविनय होकर हो गई पूर्ण शुद्ध.
“अवज्ञा” गुरुजनों की बड़ा अभिशाप है,
“अवज्ञा” सद्गुणों की महान पाप है,
“अवज्ञा” से अहित होता है अपना भी,
“अवज्ञा” आनंद न होकर महा संताप है.
(03 जुलाई “अवज्ञा दिवस” पर विशेष)