गाँव और शहर
अपना अपना गाँव
नाते रिश्ते तोड़
सब भाग रहे शहरों की ओर
कोई कहता रोजी नहीं
कोई कहे शिक्षा
कोई बोले नहीं मेडिकल
सुविधाओं का अभाव बोल
निकल पड़े शहरों की ओर
तुम तो समर्थवान हो
बहुत बहाने हैं
तुम्हारें पास
निर्बल बताये क्या बहाना
छोड़ गाँव
शहर को बसने का
— ब्रजेश