कविता

सनातन धर्म

प्राचीन अपना सनातन धर्म है

कई धर्मो का यहाँ समागम है

ईश्वर पर इसका अपना विश्वास है

कई राहों का यह उद्गम है

जीवन में ईश्वर को जानो

अपना उनको इष्ट बना लो

ऋषियों के नियमों को अपना लो

मनुष्य जीवन को सफल बना लो

ईश्वर कण कण में व्याप्त रहता है

हर जगह वह सर्वव्याप रहता है

उसकी नजर से कोई नहीं बचता है

वह तो अपने अंदर ही रहता है

आत्मा ,अजर अमर गीता का उपदेश है

शरीर बस नष्ट होता आत्मा अमर है

यही जीवन चक्र बराबर चलता है

फिर भी मनुष्य अपना तेरा करता है

ईश्वर एक होकर भी अनेक रुपों में है

कहीं भी चले जाएं मंजिल सबकी वही है

चाहें बन जाओ साधु चाहें गृहस्थ में रहना है

जय सनातन धर्म की इसका पालन करना है.[…]

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश