कविता

रामजी हमारा एहसान मानते हैं

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का
हमने निमंत्रण क्या ठुकराया
सारे धर्म प्रेमी रामभक्त
हाथ धोकर हमारे पीछे पड़ गए,
लगता है वे सब दिमाग से पैदल हो गये।
खुद को बड़ा राम भक्त बनते हैं
राम को सिर्फ अपना ही मानते हैं।
पर वे सब बड़े स्वार्थी हैं,
राम जी के दरबार में अकेले ही आना जाना चाहते हैं,
बड़े आराम से रामजी के दर्शन करना
और अपना दुखड़ा सुनाना चाहते हैं।
पर असली रामभक्त तो हम और
निमंत्रण ठुकराने वाले हमारे भाई बंधु, जो सारे विरोधी हैं,
इसके पीछे का असली कारण
राम जी बहुत अच्छे से जानते हैं,
उनके दर्शन के लिए उमड़ रही भीड़ के पीछे
हमारे द्वारा निमंत्रण ठुकराने को ही बड़ा कारण मानते हैं,
हम सबको ही अपना असली भक्त मानते हैं,
प्राण प्रतिष्ठा की इतनी चर्चा के पीछे
हम सबको ही बड़ा कारण मान‌ धन्यवाद देते हैं।
अब यह बात आपको तो समझ में आती नहीं
पर राम जी बहुत बेहतर जानते मानते हैं,
आपको तो विश्वास नहीं होगा
राम जी अभी तक हमारा एहसान मानते हैं,
रोज सुबह जागते ही सबसे पहले हमें ही
अपनी कृपा आनलाइन भेजते हैं,
और साथ ही निमंत्रण ठुकराने के लिए
आभार धन्यवाद करते हुए नहीं थक रहे हैं,
अपने ऊपर हमारा बड़ा एहसान मान रहे हैं,
वे अपने मंदिर में और हम अपने राजमहल में
अपना अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभा रहे हैं।
हम यहां चुपचाप जय श्री राम कह रहे हैं
वहां राममंदिर में बालरूप रामजी मुस्कुराते हुए
आम लोगों को मोहक मुस्कान बिखेरते हुए दिख रहे हैै।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921