किताबों का दर्द
किताब हूं, पढ़ने वाला कोई नहीं लिखने के नाम पर अब तक करोड़ो किताबे छप चुकी हैं, बस गिनती के
Read Moreकिताब हूं, पढ़ने वाला कोई नहीं लिखने के नाम पर अब तक करोड़ो किताबे छप चुकी हैं, बस गिनती के
Read Moreकितने में बिका तू जरा अपना दाम बताना, अब तेरा वजूद मिटा फिर कैसा शर्माना, बस मुल्यों का फर्क रहता
Read Moreचार राज्यों के नतीजा 3 दिसंबर को नतीजे आ चुके थे, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता खुशी मना रहे थे, मगर
Read Moreगजब का कहानी है, उस दौर में, अंधे राजा के दरबार में आबरू लूटने की कोशिश में महाभारत तक हो
Read Moreबात आधुनिक कवि की हो रही हैं, पहले कवि वाद और रस पकड़ कर चलते थे। हिंदी वालों के लिये
Read Moreनिकाय चुनाव के पहले चरण वोटिंग के बाद एक सुनसान चुनावी कार्यालय पर नजर गया, जहां चुनाव से पहले देशी घी
Read Moreमृत्यभोज बहिष्कार का निमंत्रण मिला, उसमें लिखा था कि आइये आप मृतक को सच्ची श्रद्धांजलि दीजिये, कार्ड में विचार पेश
Read Moreओ पापा जब नन्ही सी बिटिया थी, कभी घर आते आकर चले जाते, गोद की तरसते रह जाते, सबके पापा
Read Moreगुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिये हमेशा खास रहा हैं, गुजरात मॉडल के दम पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश
Read Moreबड़े साहब के बंगले पर पहला बोला”साहब का कुत्ता हैं, तू तू तू वाला नही बल्कि बिल्कुल साहब के परछाई
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