कविता
कविता ही लिखता हूं कभी नही थकता हूं, जिदंगी की कोई किताब नही वक्त की कोई हिसाब नही बस कलम
Read Moreगुरू जाईके सबके उनके दुआरें केहू आज गईल केहू काल समईल, बहुते आज काल करत जीवन कट गईल, ना कुछ
Read Moreचुनाव चल रहा है अच्छे वादे दिख रहे होगें लोग बिक रहे होगें, भाषण पिलाया जा रहा झूठे कसमे खाया
Read Moreसुबह उठकर परसाई साहब के तस्वीर को धूलमुक्त किया, अचानक नजर तस्वीर पर गई कितने मासूमियत भरे निगाह मुस्कुरा रहे
Read Moreवो युवा से खुद की तकदीर लिये खुले मंच पर चढ़कर बोले, जिता दो भईया हमको बदल देगें रूख हवा
Read More