अधिकार
” क्या बात है बहू आज सुबह उठते ही रसोई में जुट गईं आप ।” जी पापा मीता ने चहकते
Read Moreबहुत छली हूँ , अब नहीं छलना । ऐ ! मेरे मन , अब नहीं डरना। संत्रासों के घेरे में
Read Moreरिश्तों में घिसती आयी मेंहन्दी की तरह पिसती आयी । मैं ही सँभालूँ रिश्ते तुम क्यों नहीं? तुम्हारे घर वाले
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