व्यंग्य : साहित्य का रेट
देख किताबें पूछा हमने जब साहित्य का रेट व्यस्तता दिखाते दुकानदार जी बोले – करो जरा तुम वेट… 150/- रुपए
Read Moreदेख किताबें पूछा हमने जब साहित्य का रेट व्यस्तता दिखाते दुकानदार जी बोले – करो जरा तुम वेट… 150/- रुपए
Read Moreप्रचंड गर्मी हो या कड़क शरद, सिर पर सजा कर मेहनत की ओढ़नी, और चेहरे पे हँसी का गहना, ऊँचे
Read More“तेरी बहू के संस्कारों की दाद तेरी पड़ेगी। शादी के पांच साल बाद भी पल्ला सिर से नहीं हटा
Read Moreगर तुम होते मेरे साजना न जाने क्या कर जाती इक ही जीवन में… संग तेरे कितने जीवन जी जाती
Read Moreअक्सर आदतन/ तथाकथित बुद्धिजीवी / सुशोभित करते हैं / अपनी बुद्धिमता से/ चमचों और भक्तों की सीमाएं / और …इनकी
Read Moreवे बोले, “रामदेव के प्रोडक्ट खराब हैं।” मैं : हम नहीं खरीदते। वे : दंत कांति तो बढ़िया है। मैं
Read More-1- चुनावी रण में दिखें/ शराब-शबाब हथियार/ पर… जागरूक मतदाता/ न करे वोट बेकार! -2- बैलट पर बुलेट/ है
Read Moreजब तक माँ थी: “यह माँ भी ना! जो भी घर आता है, उसे कुछ न कुछ दे कर ही
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