अच्छा लगता है…
इक खामोशी अक्सर फैल जाती है हम दोनों में कभी -कभी … इक दूजे में गुम होना भी अच्छा लगता
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Read Moreचहूँ ओर सूरज के घूमें धरती वैसे ही… हर रचना का केन्द्र तुम बन जाते हो हर लफ्ज, हर भाव
Read Moreनींदें चुरा के मेरी, चैन से वो सो गया है कल तक था दिल जो मेरा, अब उसका हो गया
Read Moreबिन तेरे तेरी यादों में मुमकिन है… मैं जी जाऊँ बेखबर हूँ… ये भी हो सकता है पूरी तरह बिखर
Read Moreदेख शहर की ऊँची अट्टालिकाएँ, मस्ती भरा आलीशान जीवन लिए आँखों में स्वप्न सुनहरे असंख्य करें शहरों को पलायन !
Read Moreनवजीवन ******** आशंकित सी मैं… थी व्याकुल दर्द- वेदना से आकुल मिला चैन थमा सैलाब ! फिर… नवजीवन की गूंजी
Read Moreक्या है कोई राम ? ? ? ***************** कितनी अहिल्या जीती जागती बनीं शिला हुई भावशून्य ! उसी वजह से…
Read Moreपुरजोर से करे रुदन वो बन ठूँठ फैला रीती बाँहें कहे पुकार – बँद करो अत्याचार ! ताकि जन्मे… इस
Read Moreमौन बर्फ़ से सर्द, हो चुके हैं रिश्ते पिघलाए, सहलाए कौन शब्द हो चुके हैं अब बौने ” समझदार” रह
Read Moreअक्सर दिखते हैं… लाल बत्ती पर… तो कभी फुटपाथों पर ! कभी आँसू लिए … तो कभी आँसू पिए !
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