बिटिया का पिता
भरे कण्ठ से बेटी का पिता,कुछ भी नहीं कह पाता है|मन ही मन ईश्वर मनाता है,बेटी की सलामती के लिए|बेटी
Read Moreभरे कण्ठ से बेटी का पिता,कुछ भी नहीं कह पाता है|मन ही मन ईश्वर मनाता है,बेटी की सलामती के लिए|बेटी
Read Moreकल की बात नहीं करना, अब आगे की सुधि लीजै। बीत गया जो कुछ भी हुआ, अब करना है जो,
Read Moreलेखनी जो उठे पीर भी लिख सके,घाव जो हैं हरे वे न रिसने लगे।प्रेम भी लिख सके,नेह की लोर से,प्रीति
Read Moreमुझे अपने शिक्षक होने पर गर्व है। नौनिहालों के भविष्य को संवारने का पावन कार्य करना हमारा कर्तव्य है। मैं
Read Moreसावन की काली घटा घिरी है,रिमझिम फुहारें पड़ने लगी हैं।मेरे प्यारे कहां रह गए तुम,तुम्हारी कमी अखरने लगी है।बेला,चमेली,महकती रातरानी,मन
Read Moreमत काटो अब जंगल, जंगल में ही होता मंगल। पेड़ काटकर तुमने क्या पाया? जीवन रुपी वायु खो गयी, सिलेंडर
Read Moreदूर गगन में पर फैलाए, विचरण करती टोली। पक्षी दल दम भरकर उड़ते, करते बहुत ठिठोली। भगवान सूर्य के पहले
Read Moreरंग – बिरंगे फूल खिले हैं, जग जीवन के उपवन मे,खुशबू से तर मिट्टी को,भर लें अपने दामन में।मिट्टी से
Read More