भोर की आस
अँधेरी रात में भी भोर की आस रखना तुम | अँधेरा नित नहीं रहता यही विशवास रखना तुम || घृणा
Read Moreकभी एहसास को अपने कभी जज्बात को अपने | लिखा करना मेरे दिल तू कभी ख्यालात को अपने || महफ़िल
Read Moreआदत के अनुसार शाम के वक्त मैं रोज पार्क में घूमने निकल जाता हूं । वहां कई लोग मिल जाते
Read Moreसुखद कल की आस में , सुबह से शाम तक ,गृहस्थी का ठेला खींचते-खींचते , मैं कितना थक जाता हूँ
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा- ” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘। लाला का नौकर उसे जूते दिखाता
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