ग़ज़ल
सपने अगर हों अपने और आँखें उधार की |करना नहीं ए दर्दे दिल उम्मीदें बहार की || खुद चलानी सीख
Read Moreकभी एहसास को अपने कभी जज्बात को अपने | लिखा करना मेरे दिल तू कभी ख्यालात को अपने || महफ़िल
Read Moreआदत के अनुसार शाम के वक्त मैं रोज पार्क में घूमने निकल जाता हूं । वहां कई लोग मिल जाते
Read Moreसुखद कल की आस में , सुबह से शाम तक ,गृहस्थी का ठेला खींचते-खींचते , मैं कितना थक जाता हूँ
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