गीतिका
कागज पर जब रखा हमने जलते हुए ज़ज़्बात को । लोगों ने उन्हें पढ़ लिया यारों उठकर आधी रात को
Read Moreआदत के अनुसार शाम के वक्त मैं रोज पार्क में घूमने निकल जाता हूं । वहां कई लोग मिल जाते
Read Moreसुखद कल की आस में , सुबह से शाम तक ,गृहस्थी का ठेला खींचते-खींचते , मैं कितना थक जाता हूँ
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा- ” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘। लाला का नौकर उसे जूते दिखाता
Read Moreचलो इस उतरती सांझ में पहाड़ की गोद में बैठ कर सिंदूरी धूप को शिखर चूमते हुए देखें । चलो
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