कविता – वर्षा ऋतु की धूम
आनन्द और संतुष्टि को,प्रसन्नता देने वाली ताकत बनकर,खुशियां बिखेर रहीं हैं।तमन्नाओं से भरी हुई यादों को,कुरेदने में लगीं हुईं हैं।
Read Moreआनन्द और संतुष्टि को,प्रसन्नता देने वाली ताकत बनकर,खुशियां बिखेर रहीं हैं।तमन्नाओं से भरी हुई यादों को,कुरेदने में लगीं हुईं हैं।
Read Moreयह गर्मी की शिकायत का,एक सुखद नज़राना है।आगे बढ़ने में इन्सानियत को,बरकरार रखने का,खूबसूरत फ़साना है। पहली बूंद ने ही,भरपूर
Read Moreतेरे आने से सबको आज़,खुशियों संग सुकून मिला,अहसास हुआ,बारिश तेरी है याद खूब आतीं,हम-सब को सुखद अनुभव पाने का,उन्नत एक
Read Moreखिलेंगी धूप तो बादलों से रूबरू होना होगा,बारिश फिर तेरी,मोहब्बत नामा का नाम,दामन पर सजाना होगा। बेरहम चेहरा आज़,सुकून पाएंगी।उम्मीदों
Read Moreइस खेल में शामिल होने में,मिट्टी की महक,अच्छी संगत का रहस्य लगता है।मन को तृप्त कर,सबसे करीबी बनकर,साथ रहने की
Read Moreतोहफा कहें या भेंट,ज़िन्दगी की उफ़ान बढ़ाती है।खतरों से खेलने की,अदा हमें बताने की,हरेक क्षण,उत्सुकता भरपूर दे जाती है।यह एक
Read Moreयह सन्देश है,उच्चस्तरीय व्यवहार है।कल्पना है यहां असीम,सब मानते हैं,यही सबसे बड़ा उपहार है। ईश्वरीय आहार है,प्रकृति का आभार है।हमें
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