साहित्य निष्प्राण हो जाएगा अगर जन सरोकार से दूर किया गया
साहित्य को समाज का दर्पण होना चाहिए अर्थात् समाज के चेहरे को हूबहू दिखाने के सामर्थ्य से सम्पन्न। सिर्फ इतना
Read Moreसाहित्य को समाज का दर्पण होना चाहिए अर्थात् समाज के चेहरे को हूबहू दिखाने के सामर्थ्य से सम्पन्न। सिर्फ इतना
Read Moreभगवान कीनाराम की जन्मस्थली माँ जान्हवी की गोद मना चहुँओर मोद जीयनपुर, चन्दौली जो था पहले बनारस वैश्विक संस्कृति का
Read Moreगोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास
Read Moreबहुत संज़ीदगी से मैं चल रहा था जीवन की उबड़ – खाबड़ पगडंडी पर कुछ – कुछ अपने को भी
Read Moreतन ने जितनी सही यातना और यन्त्रणा मन पाया। दोनों ने दिल को मथ -मथकर, क्रोध अग्नि को उपजाया।। हृदय
Read Moreसूर्य की प्रथम रश्मि शैशव काल में लुढ़कते कदमों से चल पड़ती है बिना गन्तव्य सोचे कभी तेज कभी मंद
Read Moreसदियों से मकड़जाल में फँसाये रखने की हुनर रखते थे। अमरबेल की तरह सहारे को ही चूसकर निष्पाण करने का
Read Moreपरिवर्तन का जोश भरा था, कुर्बानी के तेवर में। उसने केवल कीमत देखी, मंगलसूत्री जेवर में।। हम खुशनसीब हैं कि
Read Moreहे अमानुषों! बनकर आँधी बार – बार झपटे हो…… मैं दीपक हूँ नहीं बुझा था नहीं बुझूँगा चाहे जितना जोर
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