लयानंद
सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक सुनिश्चित लय में आबद्ध है।ब्रह्मांड की इस लय में किंचित मात्र व्यवधान आने पर लय भंग हो
Read Moreहमने आज शहर में देखे, मँहगाई के पाँव। पास दीवाली आती देखी, बाजारों में पहुँचे। मुनिया के कुछ कपड़े ले
Read Moreजिसने जग को दिया उजाला। कहलाता वह दीया निराला।। करता दूर अँधेरा सारा। भले गगन में ऊपर तारा।। जुगनू भी
Read Moreदूसरों को देखकर ,जी हाँ, मात्र देखकर जलने लगना ,मानव स्वभाव है।’स्व’ अर्थात अपना भाव है।अर्थात यह भाव किसी अन्य
Read Moreअपनी पीठ आप ही थपथपाना हमारा स्वभाव है।जिसे मुहावरेदार भाषा में कहें तो कहा जायेगा तो मियाँ मिट्ठू बनना ही
Read Moreछत – छत पर फहराते झंडे, जनता आज्ञाकारी ? एक बार आदेश हो गया, चादर तानी सोया! लगा राष्ट्र ध्वज
Read Moreयदि मैं कोई वानर होता। पेड़ों पर मेरा घर होता।। उछल – कूद मैं करता दिन भर, भीग मेह में
Read Moreहिंदी एक संस्कृति है। भारतीयता के संस्कार का नाम हिंदी है। कालांतर में उसने एक बोली, भाषा और साहित्य के
Read Moreबोली, भाषा, लेखनी,जननी का वरदान। हिंदी से ही हम बने, हिंदी मम पहचान।। लिखना, पढ़ना, बोलना,हिंदी अपनी एक, हिंदी गौरव
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