गीतिका
बिना भाव साकार न होता। शब्दों का आकार न होता।। जननी जनक नहीं यदि होते, संतति का आधार न होता।
Read Moreहरी घास में कीड़े पनपे, हर पल्लव छलनी होता। सुमन खिलें शाखा पर कैसे, सूखा है सुगंध – सोता।। पादप
Read Moreकभी आपने इस बात पर विचार किया है कि ‘क्याआदमी कभी सरल भी हो सकता है?’ अपने अध्ययन काल में
Read Moreहाँ ,हम तुम्हीं से कह रहे हैं।तुम अच्छी तरह से समझ तो गए ही होगे कि तुम्हें पीछे मुड़कर देखने
Read Moreसंसार में जितने भी जीव देह धारण करते हैं;मुझे लगता है कि सबका एक ही उद्देश्य है। और वह है
Read Moreआज भला मुझे कौन नहीं जानता ,पहचानता।जो जानता वह तो मानता ही मानता और जो नहीं जानता वह तो और
Read More-1- करके चोरी ‘विज्ञ’जन , बाँट रहे नित ज्ञान। स्वयं नहीं करते कभी,ऐसे विज्ञ महान।। ऐसे विज्ञ महान, ज्ञान की
Read Moreसूख रहे सब ताल -तलैया । प्यासी भटक रही गौरैया।। आसमान से बरसें शोले। मरते प्यासे पंछी भोले।। गरम तवे
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