गीत – रिमझिम बरसे मेघ सावनी
रिमझिम बरसे मेघ सावनी, अंबर – पट में छाए हैं। प्यास बुझी धरती की सारी, सबके मन हर्षाए हैं।। बड़ी
Read Moreरिमझिम बरसे मेघ सावनी, अंबर – पट में छाए हैं। प्यास बुझी धरती की सारी, सबके मन हर्षाए हैं।। बड़ी
Read Moreतार-तार भारत माता के, वसन फटे हैं बिखरे बाल। आँखों पर संतति पट बाँधे, देखो ये माता के लाल।। एक
Read Moreअथ श्री ‘मुखचोली पुराणम’ प्रारभ्यते । आधुनिक युग का मानव इतना अधिक ‘विरस’ (VI RUS) अर्थात रस विहीन हो गया
Read Moreअरे!आप जानते नहीं दुनिया का हाल।आगे से मराल पीछे से काग।ये दुनिया है ही ऐसी। जैसी बनाई प्रभु ने वैसी।जहाँ
Read Moreमछली को जब हुआ ज़ुकाम। जा पहुँची डाक्टर के धाम।। डाक्टर बोला ‘मछली रानी। बतलाओ निज रोग कहानी।।’ मछली बोली
Read Moreबूँद कहते हैं मुझे सब मोद से। मैं निकलती बादलों की गोद से।। बादलों ने ही मुझे पाला सदा। मैं
Read Moreकौन किसे नित टहलाता है! कूकर वह आगे जाता है।। सुबह सड़क पर वे जाते हैं। लोग सैर यह बतलाते
Read Moreकोरोना की पहली और दूसरी लहर के आघातों से हम सभी अनभिज्ञ नहीं हैं।हर ओर यह आशंका भी व्यक्त की
Read Moreभीगी-भीगी सुबह हो गई। मेघों की यह विजय पय मई।। देखो काले बादल आए। खेत, बाग, वन में वे छाए।।
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