दोहा गजल
बरगद की छाया घनी,तनकर खड़ा खजूर। वट झुकना ही जानता, नहीं अहं में चूर।। पथिक सराहे शजर को,छाया दे जो
Read More-1- गौ माँ!गौ माँ!!कर रहे, सुलभ न चारा घास। मारी-मारी फिर रहीं,गौ माँ आज निराश।। गौ माँ आज निराश, सड़क
Read Moreमोटा जी ने पिल्ला पाला। लंबे भूरे बालों वाला।। रोज सैर को पिल्ला जाता। तनकर चलता शान दिखाता। पट्टा गले
Read Moreसावन आया वर्षा लाया। देखो काला बादल छाया।। लू गर्मी से मुक्ति मिली है। ठंडी – ठंडी हवा चली है।।
Read Moreवे अपने को कवि कहते हैं।कहते ही नहीं अपने नाम से पहले लिखते भी हैं। जब वे कवि हैं तो
Read Moreवीरबहूटी कहलाती हूँ। छूते ही शरमा जाती हूँ।। लाल रंग मखमल-सी काया। जिसने देखा रूप सुहाया।। रेंग – रेंग कर
Read More