व्यंग्य – सर्वश्रेष्ठ साहित्य
सोना कम से कम लोगों के पास कम से कम मात्रा और अधिक महत्त्व की वस्तु है। संभवतः इसीलिए उसका
Read Moreसोना कम से कम लोगों के पास कम से कम मात्रा और अधिक महत्त्व की वस्तु है। संभवतः इसीलिए उसका
Read Moreकहा जाता है कि ‘मानव पहले पशु है ,बाद में मनुष्य।’ किन्तु मुझे इसके ठीक विपरीत ही प्रतीत होता है।अर्थात
Read Moreसात रंग की पाँती सोहे। वक्र,गगन में दृग मन मोहे।। यह शुचि इंद्रधनुष कहलाता। हम सबका वह मन बहलाता। सुबह
Read Moreतार – तार भारत माता के, वसन फटे हैं बिखरे बाल। आँखों पर संतति पट बाँधे, देखो ये माता के
Read Moreमानवता का मातम छाया , कैसे गीत सुनाएँ हम। मानव रक्त पिए मानव का, घर -आँगन में काला तम।। भगवानों
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