रूढ़िवादिता की खाज
विवेक ने आँखों परपट्टी बाँध रखी है,बिना किए कर्मबाबाओं की कृपा सेसब कुछ मिल जाए,यही अंतिम उपाय। न पढ़ना जरूरीन
Read Moreविवेक ने आँखों परपट्टी बाँध रखी है,बिना किए कर्मबाबाओं की कृपा सेसब कुछ मिल जाए,यही अंतिम उपाय। न पढ़ना जरूरीन
Read Moreरौंदा अपने अधीनस्थ कोकैसी बेढब रीति चली है। छोटी मछली को खा जातींबड़ी मछलियाँ बीन -बीन कर।कुचले जाते नित गरीब
Read Moreनेताजी करते नहीं, जन जनता से प्यार।आता समय चुनाव का,बाँटें प्यार उधार।। नेतागण चाहें नहीं, करना पूर्ण विकास,कौन उन्हें पूछे
Read Moreआज के युग में आदमी से अधिक आदमी के फोटो का महत्त्व है।क्योंकि आदमी का क्या,वह तो कभी भी टाटा
Read Moreछिपकलियों में छिड़ी लड़ाई।मोटी – मोटी लड़ने धाई।। सभी कह रहीं छत है मेरी।बतला तू कैसे छत तेरी।।सबने अपनी युक्ति
Read Moreबनें देश के भक्त, सहज पहचान नहीं।धन में ही आसक्त, हमें क्या ज्ञान नहीं?? बस कुर्सी से मोह, नहीं जन
Read Moreमेरे घर की सघन बेल मेंधूम मचाती है गौरैया। नर के पंख श्याम बादामीमादा के कुछ कम मटमैले।कभी फुदकती वह
Read Moreयह ‘कीचड़-उछाल संस्कृति’ का युग है। यत्र-तत्र-सर्वत्र कीचड़- उछाल उत्सव का वातावरण है। कोई भी कीचड़ उछालने में पीछे नहीं
Read Moreसुरा सुरों का साथ निकट का,लगें दंपती नेक।सुर से सुरा विलग हो कैसे,सोचें सहित विवेक ।।जोगीरा सारा रा रा रा
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